Detailed Notes on Shiv Chalisa lyrics
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अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
और check here देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥